भगवान अकर्ता

सम्यग्दृष्टि भगवान को अकर्ता मानता हुआ भी, असाता हटने पर भगवान का ही आभार क्यों मानता है ?
ताकि उसे अपने पुरुषार्थ पर घमंड न आ जाय।

मुनि श्री प्रणम्यसागर जी

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One Response

  1. उपरोक्त कथन सत्य है कि भगवान् को सम्यगद्वष्टि अकर्ता मानता है। भगवान् ने अपने सभी विकारों को समाप्त करने पर केवलज्ञान हुआ था। अतः उक्त कथन सत्य है,असाता कर्म को हटने में , भगवान् को आभार मानते हैं , क्योंकि भगवान ने ही हम सबको प्रेरणा दी गई है।अगर यह नहीं होता तो अपने पुरुषार्थ पर घमंड हो सकता है।

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