भगवान की वाणी
भगवान की वाणी को भोजन की तरह पूरा खोलकर, हर किसी के सामने परोसते नहीं रहना चाहिये वरना उसका महत्त्व कम हो जाता है।
उपदेश प्रज्ञावान को ही देना चाहिये, अक्षरज्ञानी को नहीं, श्रद्धावान को। भील भी श्रद्धापूर्वक छोटे-छोटे नियम अंत तक निभाकर प्रज्ञावान प्रसिद्ध हो गये।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
7 Responses
‘प्रज्ञावान’ ka kya meaning hai, please ?
जिसमें उपदेश को समझने की काबिलियत हो।
Okay.
उपदेश उसी को दीजिए,
जो है प्रज्ञावान।
अमल वही कर पाएगा,
जिसे मर्म का ज्ञान।।
Kya, ‘प्रज्ञावान’ aur ‘श्रद्धावान’ ka meaning ek hi hai ?
अर्थ तो अलग अलग है पर प्रज्ञावान को दोगे तो श्रद्धा आयेगी, श्रद्धावान को दोगे तो प्रज्ञा।
It is now clear to me.