भेंटादि

दान/ भेंटादि में ‘एक’ अधिक (जैसे 11,101) क्यों देते हैं ?
आचार्य श्री विद्यासागर जी → तब यह संख्या अविभाज्य हो जाती है। ‘एक’ का सिक्का रखना चाहिये, धातु से ऊर्जा का प्रवाह बना रहता है (बढ़ता है)। दुःख के अवसरों पर 10,100 दिये जाते हैं, जो भाज्य हैं।

मुनि श्री विनम्रसागर जी

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4 Responses

  1. मुनि विनम्रसागर महाराज जी ने भेंटादि का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है।

  2. दुःख के अवसरों पर ‘भाज्य’ isliye dete hain taki dukh kam ho jaaye? Ise clarify karenge,
    please ?

    1. भाज्य = जो विभाजित हो सके।
      दुःख विभाजित/ कम हो जायें।

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