भेद-विज्ञान
कोयल चालाकी से अपने अंडे कौवे के घोंसले में दे देती है। बच्चे निकलने पर कौवा अपने और कोयल के अंडों में फ़र्क नहीं कर पाता। कोयल अपने बच्चों को कौवे से बड़ा करवाती है और उन्हें पहचान कर उड़ा ले जाती है।
हम कोयल हैं या कौवा ?
क्या हम आत्मा और शरीर में भेद कर पाते हैं ??
आचार्य श्री विद्यासागर जी
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आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी ने भेद विज्ञान का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है! भेद विज्ञान ही जैन धर्म का मूल सिद्वांत है! इससे आत्मा और शरीर में भेद करने में समर्थ होते हैं ! भेद विज्ञान पर जो श्रद्धा करते हैं वही अपना कल्याण कर सकते हैं!
कऊऐ के अज्ञान का
कोयल लेती लाभ।।
चालक लोग दुनिया में,
मूर्ख बनाते, आप।।