मति/श्रुत ज्ञान
शब्द यदि अपरिचित है जैसे सुमेर (क्योंकि जिनवाणी से सुना है, देखा नहीं) तो अर्थ का ज्ञान;
यदि परिचित है तो अर्थ से अर्थांतर का ज्ञान, दोनों ही श्रुत ज्ञान हैं।
जैसे ग्लास का ज्ञान >> मतिज्ञान,
कौन सा गिलास/ किसके लिये गिलास >> श्रुतज्ञान।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी (जीवकाण्ड-गाथा- 315)
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मुनि श्री प़णम्यसागर महाराज जी ने मति एवं श्रुत ज्ञान की परिभाषा बताई गई है वह पूर्ण सत्य है! अतः जीवन में मति एवं श्रुत ज्ञान का अध्ययन करना परम आवश्यक है ताकि शब्दों का महत्व समझ में आ सकता है!