मनोवर्गणाएँ द्रव्य-मन में उपादान कारण हैं। भाव-मन नोइंद्रियावरण के क्षयोपशम से उत्पन्न ज्ञान की परिणति है, जिससे स्मृति/ विचार क्षमता आती है।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी (शंका-समाधान 40)
मुनि श्री प़णम्यसागर महाराज जी ने मनोवर्गणा को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है।
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मुनि श्री प़णम्यसागर महाराज जी ने मनोवर्गणा को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है।