मर्जी
मर्जी उन्हीं की जिन्हें मर्ज़ होता है (वे ही ज़िद करते हैं/ अड़ियल होते हैं)।
भगवान की मर्जी ही तेरी अर्ज़ी।
निर्यापक मुनि श्री सुधासागर जी
मर्जी उन्हीं की जिन्हें मर्ज़ होता है (वे ही ज़िद करते हैं/ अड़ियल होते हैं)।
भगवान की मर्जी ही तेरी अर्ज़ी।
निर्यापक मुनि श्री सुधासागर जी
M | T | W | T | F | S | S |
---|---|---|---|---|---|---|
1 | 2 | |||||
3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 | 9 |
10 | 11 | 12 | 13 | 14 | 15 | 16 |
17 | 18 | 19 | 20 | 21 | 22 | 23 |
24 | 25 | 26 | 27 | 28 |
4 Responses
मुनि श्री सुधासागर महाराज जी ने मर्ज़ी का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। जीवन के कल्याण के लिए कभी भी मर्जी यानी जिद्द नहीं करना चाहिए।
1st aur 2nd line ka link explain karenge, please ?
पहली लाइन जैसे हम हैं,
दूसरी लाइन जैसा हमें होना चाहिए।
Okay.