अनित्य को नित्य मानना भी मिथ्यात्व है।
क्योंकि तुमने सच्चे देव, शास्त्र, गुरु को तो माना पर उनकी नहीं मानी।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
Share this on...
One Response
मिथ्यात्व का मतलब भेद विज्ञान को नहीं समझना है। अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि अनित्य को नित्य मानना ही मिथ्यात्व होता है। अतः जो देव शास्त्र गुरु पर श्रद्वान नहीं करता है, वही मिथ्यात्व को कभी समाप्त नहीं कर सकता है। अतः जीवन में जब तक मिथ्यात्व रहेगा,तब तक अपना कल्याण नहीं कर सकता ।
One Response
मिथ्यात्व का मतलब भेद विज्ञान को नहीं समझना है। अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि अनित्य को नित्य मानना ही मिथ्यात्व होता है। अतः जो देव शास्त्र गुरु पर श्रद्वान नहीं करता है, वही मिथ्यात्व को कभी समाप्त नहीं कर सकता है। अतः जीवन में जब तक मिथ्यात्व रहेगा,तब तक अपना कल्याण नहीं कर सकता ।