पाषाण की मूर्ति वास्तव में दिगम्बरत्व का असली प्रतीक है, इसमें अवांछनीय पदार्थ (छाँट-छाँटकर) निकाल दिया जाता है। जबकि धातु की मूर्ति में संग्रह होता है।
मुनि श्री सुधासागर जी
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मुनि श्री सुधासागर महाराज जी ने मूर्ति का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। भगवान् की पाषण की मूर्ति दिगम्बरत्व देती है, उस पर ही विश्वास एवं श्रद्वान होना चाहिए ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।
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मुनि श्री सुधासागर महाराज जी ने मूर्ति का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। भगवान् की पाषण की मूर्ति दिगम्बरत्व देती है, उस पर ही विश्वास एवं श्रद्वान होना चाहिए ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।