शिष्यों को पढ़ाने का नाम वाचना है।
वाचना का अर्थ होता है – प्रदान करना।
पर वाचना का अर्थ आजकल “वाचन” हो गया है/Self Study हो गया है, यह खतरनाक सिद्ध हो रहा है।
एकांत मत इसी का परिणाम है।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
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वाचना का मतलब निर्दोष ग़न्थ का अर्थ या दोनों ही योग्य पात्र को प़दान करना होता है, अथवा शिष्यों को पढ़ाने का नाम ही वाचना है। उपरोक्त कथन सत्य है कि वाचन का अर्थ वाचन हो गया है, स्वयं पढना खतरनाक हो जाता है, अतः यह एकांत मत है जो खतरनाक है।
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वाचना का मतलब निर्दोष ग़न्थ का अर्थ या दोनों ही योग्य पात्र को प़दान करना होता है, अथवा शिष्यों को पढ़ाने का नाम ही वाचना है। उपरोक्त कथन सत्य है कि वाचन का अर्थ वाचन हो गया है, स्वयं पढना खतरनाक हो जाता है, अतः यह एकांत मत है जो खतरनाक है।