विशेष
स्वर्ण में चकाचौंध नहीं, नकली ज्यादा चमकीला होता है। ऐसे ही सही मायने में बड़े/ ऋद्धिधारी सहज होते हैं।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
(फिर हम विशेष के चक्कर में क्यों ?
सामान्य रहेंगे तो एक दिन विशेष भी बन जाएंगे। पर विशेष के चक्कर में न सहज ही रह पाएंगे, नाही विशेष हो पाएंगे)
फौज में सारे विशेषज्ञ “साधारण(General)” के नीचे ही काम करते हैं।
(चिंतन)
3 Responses
आचार्य श्री विद्या सागर महाराज जी ने विशेष का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः विशेष के चक्कर में नहीं रहना चाहिए बल्कि सामान्य जीवन ही विशेष बन सकता है।
सहज स्वभावी व्यक्ति ही,
होता है गुणवान।
अंदर बाहर भिन्न जो,
होता है शैतान।।
Bahut hi sundar post hai !