आखिरी इन्द्रिय सबसे ज्यादा ताकतवर होती है जैसे चींटी की घ्राण, पतंगे की चक्षु ।
ये सब अज्ञानी जीव इस इन्द्रिय को सबसे ज्यादा विषयों में लगाते हैं ।
मनुष्य का अंतिम “मन” है, विडम्बना यह कि ज्ञान होते हुये भी उसे विषयों में लगाये रखता है ।
चिंतन
Share this on...
One Response
विषय का मतलब इन्द़ियों के द्वारा जानने के योग्य पदार्थ को कहते हैं,अनेक विकल्प रुप विषय मन का होता है।
इन्द़िय का तात्पर्य जो सूक्ष्म आत्मा को अस्तित्व का ज्ञान कराने में सहायक होती है। यह पांचों इन्द़िय कही जाती हैं, इनके दो रुप भी होते है, भाव और द़व्य इन्द़िय । अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि इसमें आखरी इन्दिय सबसे ताकतवर होती है जैसे चींटी की घ़ाण और पतंगें की चक्षु,यह सब जीव अज्ञानी होते हैं जो उसे विषयों पर लगाते रहते हैं। जबकि मनुष्य का अंतिम मन है, लेकिन विडम्बना यह है कि ज्ञान होते हुए भी विषयों में लगाये रखता है।
One Response
विषय का मतलब इन्द़ियों के द्वारा जानने के योग्य पदार्थ को कहते हैं,अनेक विकल्प रुप विषय मन का होता है।
इन्द़िय का तात्पर्य जो सूक्ष्म आत्मा को अस्तित्व का ज्ञान कराने में सहायक होती है। यह पांचों इन्द़िय कही जाती हैं, इनके दो रुप भी होते है, भाव और द़व्य इन्द़िय । अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि इसमें आखरी इन्दिय सबसे ताकतवर होती है जैसे चींटी की घ़ाण और पतंगें की चक्षु,यह सब जीव अज्ञानी होते हैं जो उसे विषयों पर लगाते रहते हैं। जबकि मनुष्य का अंतिम मन है, लेकिन विडम्बना यह है कि ज्ञान होते हुए भी विषयों में लगाये रखता है।