मनुष्य जन्म का उद्देश्य
छोटे बच्चे को सामान लेने 500 रुपये दिये।
बच्चे ने कहा कि मैं अपने लिये टॉफी भी ले आऊँ ?
ले आना।
दुकान पर पहुँच कर सामान का नाम भूल गया, 500 रुपये की टॉफी ले आया।
हम सब मनुष्य पर्याय में जो लेने आये थे वह तो भूल गये, पूरा जीवन विषय-भोग रूपी टॉफी में लगा दिया ।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
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उपरोक्त कथन सत्य है कि मनुष्य का जीवन तो मिला है लेकिन वह भूल जाता है कि उसे यह पर्याय तो अच्छी मिली है, उसमें अगली पर्याय क्या होना चाहिए। जीवन को धर्म मार्ग से जुड़ने पर अपने जीवन का कल्याण करने में समर्थ हो सकते हैं। अतः जीवन में पुराने कर्मों को काटना होगा एवं साथ में अच्छे कर्मों को जोड़ना होगा ताकि मनुष्य जीवन की पर्याय को सार्थक बना सकते हैं।