व्यवहार / निश्चय
व्यवहार नीति है। रानी चेलना ने मुनि के शरीर से चींटियां हटायीं।
निश्चय धर्म है। नीति धर्म की रक्षा करती है।
आचार्य अमृतचंद्र सूरि ने लिखा है – निश्चय से मुनि को पर-वस्तु ग्रहण नहीं करना चाहिए, तो क्या आहार भी ग्रहण न करे! उसके लिये केवली बनना होगा; बाहुबली जैसा द्रव्य चाहिये।
यदि यह संभव नहीं हो, तो नीति कहती है – नियम तोड़ लो; आहार ले लो। स्वचतुष्टय को पहचानो। अपने आपको आज भगवान मत कहो।
मुनि श्री सुधासागर जी
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धर्म के दो सिद्धांत है, निश्चय एवं व्यवहार धर्म।
उपरोक्त कथन सत्य है कि निश्चय धर्म है एवं नीति धर्म की रक्षा करती है। अतः मुनि महाराज जी ने उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन में निश्चय के साथ व्यवहार धर्म का मानना परम आवश्यक है ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।