व्रत / नियम

नियम सम्यग्दृष्टि और मिथ्यादृष्टि दोनों ले सकते हैं परन्तु व्रत सम्यग्दृष्टि ही ।

मुनि श्री सुधासागर जी

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One Response

  1. व़त—हिंसा, झूठ, चोरी आदि पापों से निवृत होना कहलाता है जबकि
    नियम—भोग उपयोग की सामग्री के लिए त्याग करना कहलाता है। अतः यह कथन सत्य है कि नियम सम्यग्द्वष्टि और मिथ्याद्वष्टि दोनों ले सकते हैं लेकिन व़त के लिए सम्यग्द्वष्टि ही होना चाहिए।

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