श्रमण / श्रावक
बिना संयम के काले बाल वालों पर भरोसा मत करना ;
Army area में Civilian का जाना वर्जित होता है ।
श्रावकों की सुनो मत/मानो मत, श्रमण को अपनी बात सुनानी चाहिये/श्रावकों से मनवानी चाहिये ।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
बिना संयम के काले बाल वालों पर भरोसा मत करना ;
Army area में Civilian का जाना वर्जित होता है ।
श्रावकों की सुनो मत/मानो मत, श्रमण को अपनी बात सुनानी चाहिये/श्रावकों से मनवानी चाहिये ।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
4 Responses
श्रमण और श्रावक में यही अंतर है कि श्रमण संयम धारण करते हैं, जबकि श्रावक में संयम का अभाव रहता है।अतः श्रावकों की सुनो मत और मानो मत, लेकिन श्रमण की सुनना चाहिए और श्रावकों से मनवानी चाहिए। अतः जीवन में श्रमण की बात सुनकर मानते हैं, वही जीवन का कल्याण कल्याण करने में समर्थ हो सकते हैं।
“बिना संयम के काले बाल वालों ” ka kya meaning hai, please?
काले बाल यानि युवा, असंयमी की बातचीत के विषय सांसारिक/ भोग सम्बंधी ही होंगे न !
Okay.