संग्रह / परिग्रह
संग्रह इसलिये ताकि अपने और दूसरों के आपात-काल में काम आये।
परिग्रह…”चमड़ी जाये पर दमड़ी न जाय” की प्रवृत्ति।
इसलिये संग्रह का विरोध नहीं पर परिग्रह का विरोध है।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
संग्रह इसलिये ताकि अपने और दूसरों के आपात-काल में काम आये।
परिग्रह…”चमड़ी जाये पर दमड़ी न जाय” की प्रवृत्ति।
इसलिये संग्रह का विरोध नहीं पर परिग्रह का विरोध है।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
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आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी का कथन सत्य है कि संग़ह इसलिए ताकि अपने और दूसरों के लिए आपातकाल में काम आये! परिग्रह का मतलब चमडी जावे पर दमडी न जावे की प़वति! अतः संग़ह का विरोध नहीं पर परिग्रह का विरोध है! अतः जीवन के कल्याण के लिए परिग्रह का त्याग करना परम आवश्यक है!