आस्रव / संवर / निर्जरा

संवर = Traffic Police का वह हाथ जो रोकने (कर्मों को) का इशारा करता है।
निर्जरा = जो जाने का (कर्मों को बाहर जाने का) इशारा करता है।
आस्रव = जो आने का (कर्मों को अंदर आने का) इशारा करता है।

चिंतन

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One Response

  1. यह कथन सत्य है कि संवर आस्त्रव का निरोध करना कहलाता है जिसमें कर्म रुके यह कर्मो के रुकने का इशारा करता है।
    निर्जरा—जिस प्रकार आम आदि पक कर वृक्ष से प़थक हो जाता है उसी प्रकार आत्मा को भला बुरा फल देकर कर्मो का झड़ जाना निर्जरा कहते हैं।
    आस् व—पाप पुण्य रुप कर्मो के आगमन को कहते हैं, जैसे नदियों के द्वारा समुद़ जल से भरता रहता है, इसी तरह मिथ्यादर्शन आदि स्त्रो के आत्मा में निरतंर कर्म आते रहते हैं।

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