संसार की ऊर्जा
संसार की ऊर्जा को जीव तथा अजीव दोनों ही ग्रहण कर सकते हैं। जीव द्वारा ग्रहण तो दिखता है। अजीव में जैसे किसी स्थान में यदि नीचे हड्डियां आदि हों तो उस स्थान से नकारात्मकता प्रकट होने लगती है।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी (शंका समाधान – 44)
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मुनि श्री प़णम्यसागर महाराज जी ने संसार की ऊर्जा को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए संसार की ऊर्जा को सकारात्मक भाव से लेना परम आवश्यक है।