मोही के घर में ममता तथा ज्ञानी के घर में समता रहती है।
समता = सम (राग द्वेष से रहित/ सुख दुःख में समान)।
ममता = मम यानी मेरा।
उपयोगो लक्षणम् + उपयोग अपने में, नहीं रह सकते तो समता में रहो।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
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आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी ने समता एवं ममता का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए ममता का मोह छोड़कर समता के भाव हमेशा रखना परम आवश्यक है।
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आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी ने समता एवं ममता का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए ममता का मोह छोड़कर समता के भाव हमेशा रखना परम आवश्यक है।