समाधि में मौत कोई बहाना नहीं ढ़ूंढ़ती है । शरीर को विकृत करके नहीं छोड़ते, इसलिये अगले भव में सुंदर शरीर मिलता है ।
मन शोधन करके जाओगे तो सुंदर मन मिलेगा ।
जो मल-मूत्र भी शोधन करके करते हैं वे महापुरुष बनते हैं, जिनके निहार नहीं होता ।
मुनि श्री सुधासागर जी
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4 Responses
समाधि का तात्पर्य वीतराग भाव से आत्मा का ध्यान करना होता है अथवा समस्त विकल्पों को नष्ट करना परम समाधि होती है। अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि समाधि में मौत कोई बहाना नहीं ढूंढती है,शरीर को विकृत करके नहीं छोड़ते हैं। समाधि में वीतरागता का भाव होना चाहिए ताकि आत्मा का ध्यान रहे, आत्मा को अच्छा फल मिल सकता है।
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समाधि का तात्पर्य वीतराग भाव से आत्मा का ध्यान करना होता है अथवा समस्त विकल्पों को नष्ट करना परम समाधि होती है। अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि समाधि में मौत कोई बहाना नहीं ढूंढती है,शरीर को विकृत करके नहीं छोड़ते हैं। समाधि में वीतरागता का भाव होना चाहिए ताकि आत्मा का ध्यान रहे, आत्मा को अच्छा फल मिल सकता है।
“समाधि में मौत कोई बहाना नहीं ढ़ूंढ़ती है” ka kya meaning hai, please?
मौत में कोई न कोई अंग तो fail होता ही है ।
समाधि में general weakness बढ़ते-बढ़ते मौत होती है ।
Okay.