सम्मेदशिखर जी जैन धर्म में निर्वाण स्थल कहा जाता है, यहां से बीस तीर्थंकरों को निर्वाण अथवा मोक्ष प्राप्त हुआ था और करोड़ों मुनियों ने भी मोक्ष को प्राप्त किया था।
अतः उक्त तीर्थस्थल सबके लिए महत्वपूर्ण स्थान है। जीवन में कम से कम एक बार उक्त तीर्थ पर जाना परम आवश्यक है ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है। अतः मुनि श्री सुधासागर महाराज जी की व्याख्या पूर्ण सत्य रुप है।
सम यानी सच्चे में और भेद यानी भारी और शिखर को मिला कर सम्मेदशिखर जी ही होता है।
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सम्मेदशिखर जी जैन धर्म में निर्वाण स्थल कहा जाता है, यहां से बीस तीर्थंकरों को निर्वाण अथवा मोक्ष प्राप्त हुआ था और करोड़ों मुनियों ने भी मोक्ष को प्राप्त किया था।
अतः उक्त तीर्थस्थल सबके लिए महत्वपूर्ण स्थान है। जीवन में कम से कम एक बार उक्त तीर्थ पर जाना परम आवश्यक है ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है। अतः मुनि श्री सुधासागर महाराज जी की व्याख्या पूर्ण सत्य रुप है।
सम यानी सच्चे में और भेद यानी भारी और शिखर को मिला कर सम्मेदशिखर जी ही होता है।