सम्यक मिथ्यात्व तथा सम्यक प्रकृति की स्थिति
जब इन दोनों का बंध होता ही नहीं तो उदय के समय इनमें स्थिति कहाँ से आ जाती है ?
ये दोनों मिथ्यात्व के टुकड़े हैं तो जो मिथ्यात्व की स्थिति होगी वही इनकी होगी, पर जितनी देर बाद टुकड़े हुये वह समय घटकर स्थिति बनेगी ।
जैसे आईसक्रीम, थोड़ी ढ़ीली आईसक्रीम, थोड़ा दूध ।
पं. रतनलाल बैनाड़ा जी