सच्चे देव,गुरु,शास्त्र पर परमार्थ के लिये श्रद्धा से ही सम्यग्दर्शन होता है ।
मुनि श्री सुधासागर जी
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5 Responses
यह कथन सत्य है कि सच्चे देव, गुरु, शास्त्र पर परमार्थ के लिए श्रद्धा से सम्यग्दर्शन होता है अथवा जिनेन्द भगवान् के द्वारा कहे गए सात तत्वों के यथार्थ श्रद्धान को कहते हैं, अथवा आत्मरुचि होना होता है, इसके साथ भेद विज्ञान होना भी होता है।
संसारिक वस्तुओं की प्राप्ति के लिए सच्चे देव गुरु शास्त्र पर श्रद्धा करने से स.दर्शन नहीं हो सकता है,
लेकिन स.द्रष्टि संसारिक वस्तुओं की प्राप्ति के लिए सच्चे देव गुरु शास्त्र पर श्रद्धा रख सकते हैं।
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यह कथन सत्य है कि सच्चे देव, गुरु, शास्त्र पर परमार्थ के लिए श्रद्धा से सम्यग्दर्शन होता है अथवा जिनेन्द भगवान् के द्वारा कहे गए सात तत्वों के यथार्थ श्रद्धान को कहते हैं, अथवा आत्मरुचि होना होता है, इसके साथ भेद विज्ञान होना भी होता है।
Iska matlab, “sansaarik vastu” ki prapti ke liye, sacche Dev, Shastra aur Guru par Shraddha karna, ” Samyagdarshan” nahin hai?
संसारिक वस्तुओं की प्राप्ति के लिए सच्चे देव गुरु शास्त्र पर श्रद्धा करने से स.दर्शन नहीं हो सकता है,
लेकिन स.द्रष्टि संसारिक वस्तुओं की प्राप्ति के लिए सच्चे देव गुरु शास्त्र पर श्रद्धा रख सकते हैं।
Lekin aisa karne se “Nidaan” nahin hoga , Jo Samyagdarshan ke pratikool hai?
यहां परमार्थ का मतलब है आत्मकल्याण।
और निदान तो संसारी इच्छाओं से होता है।