कुछ लोग साता में भी दु:खी रहते हैं, अपनी मन:स्थिति के कारण ।
साता में यदि और-और साता की चाह करोगे तो दु:खी तो रहोगे ही ।
साता का उदय दो तरह से काम करता है –
1) जीव को सुकून पैदा करने का वातावरण पैदा करता है ।
2) असाता के निमित्तों को दूर कर देता है ।
मुनि श्री प्रमाण सागर जी
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साता का मतलब जिस कर्म के उदय से देवादि गतियों में जीव का इन्द़िय और मन सम्बंध सुख मिलता है। जबकि असाता में जिस कर्म के उदय में जीव अनेक प्रकार के दुःख का वेदन होता है। उपरोक्त कथन सत्य है कि कुछ लोग साता में दुःखी रहते हैं, यह मनः स्थिति के कारण होता है। अतः जब साता में और साता की चाह करोंगे तो दुःखी तो रहोगे ही। अतः साता का उदय दो तरह काम करता है।1 जीव को सूकून पैदा करने का वातावरण पैदा करता है जबकि असाता के निमित्तो को दूर कर देता है। अतः जीवन में साता का आभिमान करना नहीं चाहिए ताकि असाता कम हो सकता है।
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साता का मतलब जिस कर्म के उदय से देवादि गतियों में जीव का इन्द़िय और मन सम्बंध सुख मिलता है। जबकि असाता में जिस कर्म के उदय में जीव अनेक प्रकार के दुःख का वेदन होता है। उपरोक्त कथन सत्य है कि कुछ लोग साता में दुःखी रहते हैं, यह मनः स्थिति के कारण होता है। अतः जब साता में और साता की चाह करोंगे तो दुःखी तो रहोगे ही। अतः साता का उदय दो तरह काम करता है।1 जीव को सूकून पैदा करने का वातावरण पैदा करता है जबकि असाता के निमित्तो को दूर कर देता है। अतः जीवन में साता का आभिमान करना नहीं चाहिए ताकि असाता कम हो सकता है।