साधना/आराधना
मोक्षमार्ग दो ही हैं ।
1. साधना
2. आराधना
जब तक साधना नहीं कर पा रहे हो, तब तक आराधना तो करो ।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
मोक्षमार्ग दो ही हैं ।
1. साधना
2. आराधना
जब तक साधना नहीं कर पा रहे हो, तब तक आराधना तो करो ।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
One Response
साधना का तात्पर्य आत्मा में लीन होना है,
जबकि आराधना का तात्पर्य सम्यग्दर्शन सम्यक्ज्ञान और सम्यग्चारित्र तीनों को यथायोग्य पालन करना होता है,इसको भूलने पर आराधना को पुनः जाग्रत करना होता है। उपरोक्त कथन सत्य है कि मोक्ष मार्ग के लिए दो ही मार्ग होते हैं। अतः जब तक साधना नहीं कर पाते हैं,तब तक आराधना करना अनिवार्य होता है।