ऋषभदेव भगवान ने तलवार चलाना सिखाया, हिंसकों से रक्षा हेतु ।
महावीर भगवान ने तलवार छुड़वायी, अहिंसकों को और अधिक अहिंसक बनाने हेतु (मुनियों की रक्षा का दायित्व श्रावकों को दिया) ।
(सबसे बड़े, अपनी रक्षा खुद नहीं करते, जैसे राष्ट्रपति)
मुनि श्री सुधासागर जी
Share this on...
4 Responses
अहिंसा का मतलब मन वचन काय से किसी जीव को नहीं मारना होता है। हिंसा का मतलब प़माद के वशीभूत होकर जीव के प्राणों का वियोग करना या पीड़ा पहुंचाना होता है। हिंसा दो प़कार की होती है, द़व्य हिंसा एवं भाव हिंसा। उपरोक्त कथन सत्य है कि तलवार सिखाया गया था कि हिंसकों से रक्षा हेतु। जबकि भगवान् श्री महावीर स्वामी ने तलवार छुड़वाई अहिंसक बनने के लिए, जबकि मुनियों की रक्षा करना श्रावकों का उत्तरदायित्व होता है। श्रावकों को हिंसा से बचना चाहिए ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।
आदिनाथ भगवान के समय भोगभूमि से कर्मभूमि आते समय हिंसक जानवरों से रक्षा के लिए हथियार उठाने को कहा गया।
महावीर भगवान के समय हिंसा बहुत फैल गयी थी इसीलिए उन्होंने हथियार छोड़ने की शिक्षा दी।
4 Responses
अहिंसा का मतलब मन वचन काय से किसी जीव को नहीं मारना होता है। हिंसा का मतलब प़माद के वशीभूत होकर जीव के प्राणों का वियोग करना या पीड़ा पहुंचाना होता है। हिंसा दो प़कार की होती है, द़व्य हिंसा एवं भाव हिंसा। उपरोक्त कथन सत्य है कि तलवार सिखाया गया था कि हिंसकों से रक्षा हेतु। जबकि भगवान् श्री महावीर स्वामी ने तलवार छुड़वाई अहिंसक बनने के लिए, जबकि मुनियों की रक्षा करना श्रावकों का उत्तरदायित्व होता है। श्रावकों को हिंसा से बचना चाहिए ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।
“ऋषभदेव भगवान” aur “महावीर भगवान” ने alag-alag objective se तलवार चलाना kyun सिखाया ?
आदिनाथ भगवान के समय भोगभूमि से कर्मभूमि आते समय हिंसक जानवरों से रक्षा के लिए हथियार उठाने को कहा गया।
महावीर भगवान के समय हिंसा बहुत फैल गयी थी इसीलिए उन्होंने हथियार छोड़ने की शिक्षा दी।
Okay.