आगम / आदेश
व्याकरण में दो शब्द आते हैं –
आगम – शब्द में अक्षर मिलाने से भाव नहीं बदलते जैसे बाल और बालक।
आदेश – शब्द नहीं बदलता, भाव बदल जाने से आशय बदल जाता है।
आगम मित्रवत होता है (मित्र को किसी भी नाम से बुलाओ, भाव मित्रता का ही रहता है), आदेश शत्रुवत (“तू” सम्बोधन – प्रेम में भी, पर शत्रु के सम्बोधन में क्रोध) ।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
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आगम का तात्पर्य जिनेन्द्र भगवान् के द्वारा कहे गये वचन हितकारी होते हैं। आदेश का मतलब अपनी बात को मनमाने के लिए कहना होता है। अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि आगम में अक्षर बदलने से भाव नहीं बदलते है, जबकि आदेश में शब्द नहीं बदलता है, बल्कि भाव बदल जातै हैं। आगम ही मित्रवत होता है, अतः उसका पावन करना परम आवश्यक है ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।