आत्मा
आत्मा को भार* नहीं, आभार** मानो ।
* भार मानने वाले आत्मघात तक कर लेते हैं ।
** कितना उपकार कि आत्मा हमें मोक्ष-मार्ग पर लगाने में निमित्त है ।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
आत्मा को भार* नहीं, आभार** मानो ।
* भार मानने वाले आत्मघात तक कर लेते हैं ।
** कितना उपकार कि आत्मा हमें मोक्ष-मार्ग पर लगाने में निमित्त है ।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
One Response
आत्मा का तात्पर्य जो यथासंभव ज्ञान दर्शन सुख आदि गुणों में वर्तता का परिणमन होता है।
उपरोक्त कथन सत्य है कि आत्मा को भार नहीं बल्कि आभार मानना चाहिए। जो भार मानते हैं वह आत्मघात कर लेते हैं जबकि कितना उपकार है कि आत्मा हमें मोक्ष मार्ग पर लगाने में निमित्त है।