दस धर्म में त्याग से पहले तप इसलिये लिया है –
पहले बाह्य त्याग करके मुनि बनते हैं, तब ही तप कर पाते हैं ।
उस तप से अंतरंग त्याग होता है जो सार्थक त्याग होता है, बाह्य त्याग तो मिथ्यादृष्टि भी कर लेते हैं ।
अंतरंग तप के बाद ही आकिंचन धर्म प्रकट होता है ।
मुनि श्री संस्कारसागर जी
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उपरोक्त कथन सत्य है कि दस धर्म में त्याग से पहले तप इसलिए लिया गया है कि पहले ब़ाह्य त्याग करके मुनि बनते हैं,तब ही तप कर पाते हैं। तप में अंतरंग त्याग आता है जो सार्थक त्याग होता है, लेकिन ब़ाह्य त्याग तो मिथ्याद्वष्टि भी कर लेते हैं। अंतरंग तप के बाद ही आकिंचन धर्म प़कट होता है।
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उपरोक्त कथन सत्य है कि दस धर्म में त्याग से पहले तप इसलिए लिया गया है कि पहले ब़ाह्य त्याग करके मुनि बनते हैं,तब ही तप कर पाते हैं। तप में अंतरंग त्याग आता है जो सार्थक त्याग होता है, लेकिन ब़ाह्य त्याग तो मिथ्याद्वष्टि भी कर लेते हैं। अंतरंग तप के बाद ही आकिंचन धर्म प़कट होता है।