उत्तम त्याग-धर्म

उत्तम त्याग, अनुत्तम(विभावों) का, ग्रहण उत्तम(स्वभाव) का।
अपाय(उपाय) विचय का अर्थ एक आचार्य ने त्याग(बुराई का) बताया है।
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लब्धि में जितना भोग/ धन है, उतना तो मिलेगा ही। जितना त्याग/ दान करोगे, वह अतिरिक्त और मिलेगा।

मुनि श्री मंगल सागर जी
ब्र.डॉ नीलेश भैया

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