असूल और ख़्वाब

चादर से पैर
तभी बाहर आते हैं,
जब
“असूलों” से बड़े
“ख़्वाब” हो जाते हैं ।

(ललित)

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One Response

  1. यह कथन बिलकुल सही है… जितनी बड़ी चादर होगी, उतने ही पैर फैलाने चाहिए,
    ख़्वाब उतने होने चाहिए जितने असूल हों; तभी आपका कल्याण होगा ।

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