कर्ज़
पहले कर्ज़ से डरते थे, मरण से नहीं;
आज मरण से डरते हैं, कर्ज़ से नहीं।
मूल “स्वत:” का, ब्याज “पर” का होता है।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
पहले कर्ज़ से डरते थे, मरण से नहीं;
आज मरण से डरते हैं, कर्ज़ से नहीं।
मूल “स्वत:” का, ब्याज “पर” का होता है।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
4 Responses
आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी का क़र्ज़ का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है! अतः जीवन का कल्याण करना है तो कर्म सिद्वांत पर विश्वास एवं श्रद्वान करना परम आवश्यक है!
‘मूल “स्वत:” का, व्याज “पर” का होता है।’
Can meaning of the above line be explained, please ?
कर्ज बुरा ब्याज की वजह से जैसे “पर” बुरा होता है।
Okay.