कर्मोदय

जैसे नख़ और केश बार-बार उग आते हैं, वैसे ही कर्मोदय है।

आचार्य श्री विद्यासागर जी

(जैसे नख़/ केश को बार-बार काटना पड़ता है ऐसे ही कर्मों को बार-बार कम करना पड़ेगा वरना मैल भर जाएगा, बीमारियां पैदा होंगी/ दु:ख पैदा होंगे)

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