कर्म-फल

बहुत दिनों से आपके घर पर किसी ने कब्ज़ा कर रखा हो तो घर छोड़ते समय तोड़फोड़ करके जाता है।
ऐसे ही कर्म जब आत्मा से निकलते हैं तो दु:खी करके तो जायेंगे ही।
पर हमको खुश होना चाहिये कि पिंड तो छूटा ।

आचार्य श्री विद्यासागर जी

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One Response

  1. कर्म, जीव में मन वचन काय से प़तिक्षण होते रहते हैं। इसके फल पाप और पुण्य में परिवर्तन होते रहते हैं। अतः जब पाप कर्म झड़ते हैं, तो दुःख हो सकता है लेकिन उससे जीवन पुण्य बनता है। आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी ने जो उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है।

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