फल एक बार ही स्वाद (खट्टा या मीठा) देता है,
कर्म भी एक बार फल देकर झर जाते हैं ।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
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कर्म का मतलब जो जीव मन वचन काय के द्वारा प़तिक्षण कुछ न कुछ करता है,जिसका फल अवश्य मिलता है। अतः आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी ने जो उदाहरण दिया है वह पूर्ण सत्य है कि फल एक बार ही स्वाद देता है खट्टा हो या मीठा हो, फिर गिर जाता है,उसी प्रकार कर्म भी एक बार फल देकर झर जाते हैं।
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कर्म का मतलब जो जीव मन वचन काय के द्वारा प़तिक्षण कुछ न कुछ करता है,जिसका फल अवश्य मिलता है। अतः आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी ने जो उदाहरण दिया है वह पूर्ण सत्य है कि फल एक बार ही स्वाद देता है खट्टा हो या मीठा हो, फिर गिर जाता है,उसी प्रकार कर्म भी एक बार फल देकर झर जाते हैं।