कर्म-बंध

कर्म-बंध से बचने के दो उपाय –
1. समता-भाव – मुझमें और छुद्र जीव (कोरोनादि) में क्या फ़र्क !
2. भेद-विज्ञान – मैं तो जीव हूँ, कर्म पुद्गल, वे मुझे नियंत्रित नहीं कर सकते ।

मुनि श्री सुधासागर जी

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4 Responses

  1. कर्म का तात्पर्य जीव मन वचन काय के द्वारा प़तिक्षण कुछ न कुछ करता है,यह सब उसकी क़िया या कर्म है।इस कारण कर्म बंध सोते रहते हैं। उपरोक्त कथन सत्य है कि कर्म बंध से बचने के उपाय है कि समता भाव रखना और भेद विज्ञान पर श्रद्धान करने पर मुझे नियंत्रित कर सकते हैं। अतः कर्म काटने से अच्छा होगा कि कर्म बंध न हो सकें।

    1. जब छोटे से छोटे जीव और खुद में फर्क ही नहीं मानेंगे तो घमंड भी नहीं आयेगा/ दया भाव रहेगा, कर्म-बंध नहीं होगा ।

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