गोचरी-वृत्ति
गोचरी-वृत्ति याने जैसे गाय नीचे मुँह करके/बिना इधर उधर देखे अपना भोजन करती रहती है ।
ऐसे ही साधु-प्रवृत्ति वाले भी अपने काम से काम रखते हैं ।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
गोचरी-वृत्ति याने जैसे गाय नीचे मुँह करके/बिना इधर उधर देखे अपना भोजन करती रहती है ।
ऐसे ही साधु-प्रवृत्ति वाले भी अपने काम से काम रखते हैं ।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
One Response
गोचरी—जैसे ग़हस्वामी द्वारा लाई गई साम़गी यानी घास को गाय खाती है उस समय लाने वाले का रंग रुप नही देखती है, इसी प्रकार साधु आहार ग़हण करते समय किसी की अमीरी व गरीबी को नही देखते हैं।अतः इस आहार को गोचरी-वृत्ति कहते हैं।