दान के भाव
1. धर्म के पात्र…………… आत्म विशुद्धि के निमित्त
2. दया/सहायता के पात्र… पुण्य अर्जन के निमित्त
मुनि श्री प्रमाणसागर जी
1. धर्म के पात्र…………… आत्म विशुद्धि के निमित्त
2. दया/सहायता के पात्र… पुण्य अर्जन के निमित्त
मुनि श्री प्रमाणसागर जी
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दान का तात्पर्य परोपकार के भाव से अपनी वस्तु को अर्पण करना कहलाता है। इसमें आहार दान, औषधि दान, करुणा दान, ज्ञान दान आदि होते हैं।
अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि दान के भाव के लिए,धर्म के पात्र से आत्म विशुद्वी के निमित्त, दया सहायता के पात्र से पुण्य अर्जन के निमित्त। अतः जीवन के कल्याण के लिए उपयुक्त दान करना परम आवश्यक है।