धर्म
बिच्छू काट ले तो मरण।
ये धर्म हुआ या अधर्म ?
ये बिच्छू का स्वभाव है, अपने भरण पोषण/ Defence में काटता है।
स्वभाव को धर्म कहा तो यह बिच्छू का धर्म हुआ।
चिंतन
बिच्छू काट ले तो मरण।
ये धर्म हुआ या अधर्म ?
ये बिच्छू का स्वभाव है, अपने भरण पोषण/ Defence में काटता है।
स्वभाव को धर्म कहा तो यह बिच्छू का धर्म हुआ।
चिंतन
One Response
धर्म जीवन के कल्याण के लिए मूल/ जड़ है। धर्म पर श्रद्वान करके मोक्ष मार्ग पर चलने में समर्थ होते हैं। सामान्य जीवन में संस्कार मिलते हैं, जो जीवन जीने की कला है।