लोग मेरी कमियाँ बताते हैं तब मेरा भी मन करता है – मैं भी उनकी कमियाँ बताऊँ, पर बता नहीं पाता, क्योंकि मुझे उनमें कमियाँ दिखती ही नहीं ।
श्री लालमणी भाई
(और दिख भी जाती हैं तो बता नहीं पाता, उन्हें दु:ख होगा)
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जिसे कमियाँ दिखती नहींं हैं वह निर्दोष दृष्टि वाला ही मानना चाहिए। यदि किसी में कमियां दिखती है इसके लिए जब ही बोलना चाहिए जब वह सुनने के लिए क्षमता रखता हो अन्यथा कमियों को न देखते हुए सिर्फ अच्छाई को देखना चाहिए तभी इस निर्दोष दृष्टि वाला कहा जायेगा। अतः निर्दो॓ष दृष्टि हमेशा बनाये रखने का प्रयास करें तभी आपका कल्याण होगा।
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जिसे कमियाँ दिखती नहींं हैं वह निर्दोष दृष्टि वाला ही मानना चाहिए। यदि किसी में कमियां दिखती है इसके लिए जब ही बोलना चाहिए जब वह सुनने के लिए क्षमता रखता हो अन्यथा कमियों को न देखते हुए सिर्फ अच्छाई को देखना चाहिए तभी इस निर्दोष दृष्टि वाला कहा जायेगा। अतः निर्दो॓ष दृष्टि हमेशा बनाये रखने का प्रयास करें तभी आपका कल्याण होगा।