परनिंदा

एक राजा ने दो विद्वानों की खूब तारीफ़ सुनी। उसने दोनौं को अपने महल में बुलाया ।
एक विद्वान जब नहाने गया तो राजा ने दूसरे के बारे में पहले से उसकी राय पूंछी ।
पहला विद्वान – अरे ! ये विद्वान नहीं, बैल है ।
ऐसे ही राजा ने दूसरे से पहले के बारे में राय जानी ।
दूसरा विद्वान – ये तो भैंस है ।

जब दौनों विद्वान खाना खाने बैठे तो थालियों में घास तथा भूसा देखकर चौंक पड़े ।
राजा ने कहा – आप दोनौं ने ही एक दूसरे की पहचान बतायी थी, उसी के अनुसार दोनौं को भोजन परोसा गया है ।
दौनों की गर्दन शर्म से झुक गयी ।

रत्नत्रय 2

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One Response

  1. If we start using this benchmark for all,
    I guess our food problem will be solved for ever.
    We all think about fellow humans in same or even more derogatory terms, so we all deserve, ghas / bhusa and even dirtier things to eat.
    Well said!
    It gives us the lesson to think positive about our fellow human beings.

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