पाप / पुण्य

पाप का घड़ा छोटा होता है, जल्दी भरकर फूट जाता है।
पुण्य का अनंत क्षमता वाला (मोक्ष की अपेक्षा), कभी फूट ही नहीं सकता।

निर्यापक मुनि श्री सुधासागर जी

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One Response

  1. मुनि श्री सुधासागर महाराज जी ने पाप एवं पुण्य को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए पाप को समाप्त करते रहना परम आवश्यक है। जबकि पुण्य को समाप्त नहीं करना चाहिए क्योंकि यही मोक्ष की ले जाने में समर्थ होते हैं।

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