मुनि श्री प़माणसागर महाराज जी ने पुण्य एवं पाप को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए पापों का त्याग करना परम आवश्यक है ताकि पुण्य अर्जित किया जा सकता है। Reply
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मुनि श्री प़माणसागर महाराज जी ने पुण्य एवं पाप को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए पापों का त्याग करना परम आवश्यक है ताकि पुण्य अर्जित किया जा सकता है।