पूर्वाग्रह
आजन्म करावास पूरा करके एक व्यक्ति ट्रेन से अपने गांव की ओर जा रहा था। साथियों से बोला… स्टेशन आने पर जरा देख कर बताना कि स्टेशन पर सफेद झंडा दिखाया जा रहा है या लाल। स्टेशन का नज़ारा देखकर साथियों के आंखों में आंसू आ गए। वह व्यक्ति समझ गया कि गांव वालों ने उसके अपराध को क्षमा नहीं किया है इसीलिए लाल झंडा दिखाया जारहा है और मेरे साथी दु:खी हो रहे हैं। लेकिन वास्तविकता अलग थी… स्टेशन सफेद झंडों से भरा पड़ा था।
ऐसे पूर्वाग्रहों से हम ग्रसित रहते हैं और दुःखी होते रहते हैं। जबकि सम्यग्दर्शन प्राप्त करना है/ आगे बढ़ना है तो हमें अपूर्वकरण का सहारा लेना होगा। ऐसे भाव रखने होंगे जो पूर्व में नहीं रहे हों।
आर्यिका श्री पूर्णमति माताजी (6 जनवरी-’25))
One Response
आर्यिका श्री पूर्णमती माता जी ने पूर्वाग्रह को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है।