प्रकृति
सुंदरता प्रकृति की देन है, सूखे पत्ते तक को खाद बना देती है।
उसको उजाड़ता मनुष्य ही है,
देवता उजाड़ते नहीं, नारकी उजाड़ सकते नहीं, पशु थोड़ा खाते हैं वह भी प्रकृति को बढ़ाने में सहायक होता है।
मुनि श्री सुधासागर जी
सुंदरता प्रकृति की देन है, सूखे पत्ते तक को खाद बना देती है।
उसको उजाड़ता मनुष्य ही है,
देवता उजाड़ते नहीं, नारकी उजाड़ सकते नहीं, पशु थोड़ा खाते हैं वह भी प्रकृति को बढ़ाने में सहायक होता है।
मुनि श्री सुधासागर जी
4 Responses
प़कृति हर जीव के लिए जीने का आधार होती है, इसके बिना जीवन अंधकारमय होता है ।
उपरोक्त कथन सत्य है कि सुन्दरता प़कृति की कीमती देन है, सूखे पत्तों से खाद बना देती है। उपरोक्त कथन सत्य है कि मनुष्य ही प़कृति को उजाड़ता है, जबकि देवता उजाड़ते नहीं है,नारकी भी उजाड़ते नहीं है, जबकि पशु थोड़ा खाते भी है पर प़कृति को बढ़ाने में सहयोग भी करते हैं। अतः मनुष्य को प्रकृति को उजाड़ने का प्रयास नहीं करना चाहिए ताकि हिंसा से बच सकते हो।
Can meaning of “पशु थोड़ा खाते हैं वह भी प्रकृति को बढ़ाने में सहायक होता है” be explained, please ?
पशु घास को ऊपर-ऊपर से खाते हैं,इससे घास और तेजी से बढ़ती है तथा उनका मल मूत्र भी खाद पानी प्रदान करता है
Okay.