प्रमाद / कषाय

प्रमाद में भी कषाय लीं हैं, पर 4 क्रोधादि सामान्य रूप से।
कषाय में 25 (4×4+9) विशेष रूप से।

मुनि श्री प्रणम्यसागर जी

Share this on...

One Response

  1. प़माद का तात्पर्य अच्छे कार्यों में आदर भाव न होना है,
    कषाय का तात्पर्य आत्मा में होने वाली क़ोधादि रुप कलुषता को कहते हैं,क़ोध,मान,माया और लोभ यह चार कषाय होती हैं । जीवन में कषायो पर नियंत्रण करना आवश्यक है ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This question is for testing whether you are a human visitor and to prevent automated spam submissions. *Captcha loading...

Archives

Archives
Recent Comments

June 15, 2022

November 2024
M T W T F S S
 123
45678910
11121314151617
18192021222324
252627282930