पाप से भीति बिना, भगवान से प्रीति नहीं,
और
भगवान से प्रीति बिना आत्मा की प्रतीति नहीं।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
Share this on...
One Response
उपरोक्त कथन सत्य है कि पाप से भीति यानी मुक्त होना, इसके
बिना भगवान् से प़ीति होना सम्भव नहीं हो सकती है और भगवान् से प्रीति बिना आत्मा की प्रतीति नहीं हो सकती है। अतः जीवन में पाप से मुक्ति होना चाहिए ताकि आत्मा की पहिचान हो सकती है। अतः जीवन में अपनी आत्मा को पहिचान करना परम आवश्यक है ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।
One Response
उपरोक्त कथन सत्य है कि पाप से भीति यानी मुक्त होना, इसके
बिना भगवान् से प़ीति होना सम्भव नहीं हो सकती है और भगवान् से प्रीति बिना आत्मा की प्रतीति नहीं हो सकती है। अतः जीवन में पाप से मुक्ति होना चाहिए ताकि आत्मा की पहिचान हो सकती है। अतः जीवन में अपनी आत्मा को पहिचान करना परम आवश्यक है ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।