मन

मन कोमल होता है तब ही तो आकार ले लेता है गर्म लोहे की तरह,
झुक जाता है तूफानों में।
घुल जाता है अपनों में या अपने में।

मुनि श्री प्रणम्यसागर जी

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One Response

  1. मुनि श्री प़णम्यसागर महाराज जी ने मन की परिभाषा बताई गई है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन में कल्याण के लिए मन पर नियंत्रण रखना परम आवश्यक है।

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