मायाचार / श्रद्धा
गुरु की सुनते हैं, मानते नहीं हैं तो क्या यह मायाचारी है ?
नहीं लाचारी है । साधारण शिष्य श्रद्धालु होते हैं, अनुयायी नहीं ।
पर कम से कम लाल बत्ती पर रुको ज़रूर, हरी पर धीरे चलो/ना भी चलो, चलेगा ।
मुनि श्री प्रमाणसागर जी
गुरु की सुनते हैं, मानते नहीं हैं तो क्या यह मायाचारी है ?
नहीं लाचारी है । साधारण शिष्य श्रद्धालु होते हैं, अनुयायी नहीं ।
पर कम से कम लाल बत्ती पर रुको ज़रूर, हरी पर धीरे चलो/ना भी चलो, चलेगा ।
मुनि श्री प्रमाणसागर जी
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One Response
मायाचारी का मतलब छल कपट करना होता है, जबकि श्रद्वा का मतलब आस्था और समपर्ण होता है। अतः उक्त कथन सत्य है कि गुरु की सुनते हैं लेकिन मानते नहीं लेकिन यह मायाचारी नहीं बल्कि लाचारी होती है। साधारण शिष्य श्रद्वालु होते हैं लेकिन अनुयायी नहीं होते हैं।अतः सच्ची श्रद्धा वही होती है जो सुनते हैं और उसका पालन करना आवश्यक है।